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सिन्दूरी रिमझिम के बीच / नीलमणि फूकन

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सिन्दूरी रिमझिम के बीच
यकायक ग़ायब
मेरी नन्ही चिड़िया तू।

नंग-धड़ंग सो रही लड़की
की नींद का
कोई नाम है तू --
किसके हाथों निकलतीं तेरी कलियाँ?

धान इस बार भी नहीं पका
तेरी पलकों में रंग है बस

तुझे ही पता होता कि
कौन सी ॠतु है इस समय,
मेरी नन्ही चिड़िया तू।

सात समुन्दर तक
शंख बजा या नहीं?


नीलमणि फूकन की कविता : 'किनकिन हेंगुलियार माजत' का अनुवाद

शिव किशोर तिवारी द्वारा मूल असमिया से अनूदित

अनुवादक की टिप्पणी : इस कविता के बारे में अपनी समझ से कुछ संकेत -- नन्ही चिड़िया कवि की सृजनात्मकता का रूपक है, पर पूरी कविता में नहीं है, बीच में फूल के पौधे का रूपक है। सृजनात्मकता कवि के लिए दुनिया को समझने का एकमात्र साधन है। इस समय वह कवि का साथ छोड़ गई है तो सब कुछ रुक-सा गया है - शाम (सिन्दूरी रिमझिम), कलियों का निकलना, लड़की का जगना, धान का पकना, कुछ भी परिणति तक नहीं पहुँचा। शंख-ध्वनि संभवतः सृजन-प्रेरणा के लौटने का संकेत होगी। मैंने 2013 के आँक-बाँक प्रकाशन के संस्करण का अनुसरण किया है। कहीं और मैंने कविता में एक पंक्ति अधिक देखी है। फूकन अपनी कविताओं को संशोधित करते रहे हैं यह उन्होंने स्वयं कहा है।यह पाठ ही प्रामाणिक है, यह मैं नहीं कह सकता।