Last modified on 17 नवम्बर 2016, at 00:18

बिजूका / सुलोचना वर्मा / महमूद नोमान

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:18, 17 नवम्बर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महमूद नोमान |अनुवादक=सुलोचना वर्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

केले के बरक में है लगा प्रेमिका का ख़ून
राम चिरैया के होठों में जलती है दोपहर
प्रेम की मशाल में सूर्य की हँसी है फीकी
और दाँत से काटकर खा रहे हैं अन्तर्वयन लोग
दब-दबकर स्वतःस्फूर्त, सद्य बोई गई फ़सल
मैदान का है जाय-नमाज़ |

लौट गई निर्मित आत्मा, ख़ुशबू
निगलकर वहशत की हूर परियों को
झूठे संसार में हर कोई कहे,
बिजूका, बिजूका....

महमूद नोमान की कविता : ’কাকতাড়ুয়া’ का अनुवाद
मूल बांग्ला से अनुवाद :सुलोचना वर्मा

लीजिए, अब यही कविता मूल भाषा में पढ़िए

কাকতাড়ুয়া

কলার বরকে প্রেমিকার রক্ত
মাছরাঙার ঠোঁটে জ্বলছে দুপুর।
প্রেমের মশালে সূর্যের হাসি ফিকফিকে,
এবং কুরে খাচ্ছে অন্তর্বয়ন মানসগুলি
গুমরে গুমরে স্বতঃস্ফূর্ত,সদ্যপোঁতা
ফসল মাঠের জায়নামাজ।
নির্মিত আত্মা ফিরে গেলো,খুশবু
গিলে বেহেশতের হুরপরীদের-
মিছে সংসারে সবাই বলুক,
কাকতাড়ুয়া, কাকতাড়ুয়া......