होती है कुछ रातें
जब
नींद करती संकोच
रहती दूर,
करती उपेक्षा।
इसे अपने अधीन करने की
समस्त चालाक कोशिशें
मेरी
रह जाती हैं व्यर्थ
चोटिल गर्व की तरह,
होतीं ये और भी कष्टप्रद।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’
होती है कुछ रातें
जब
नींद करती संकोच
रहती दूर,
करती उपेक्षा।
इसे अपने अधीन करने की
समस्त चालाक कोशिशें
मेरी
रह जाती हैं व्यर्थ
चोटिल गर्व की तरह,
होतीं ये और भी कष्टप्रद।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’