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जगह / कविता महाजन

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जिसमें मृत्यु की भी इच्छा न बची हो
उस इंसान की तरह
कोरा कड़क कैनवस;
उस पर आकाश का एक रंगीन
अमूर्त निराकार टुकड़ा चिपकाना था...

आकाश की अभिलाषा मन में संजोते समय
ध्यान ही नहीं आया कि
आकाश के
अपनाने जितनी जगह
हमारे किसी भी घर में नहीं होती

मूल मराठी से अनुवाद : सरबजीत गर्चा