भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आज / मोहन राणा

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:03, 5 मई 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहन राणा |संग्रह=सुबह की डाक / मोहन राणा }} आज फिर हवा क...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आज फिर हवा

कल रात की तरह

सरसराती सरसराती

पत्तों को छूकर

खिड़कियों पर टकराती

10.11.1996