गंवइहा बनन दे / नूतन प्रसाद शर्मा
तंय हा बन जा सबो जग के मालिक।
मोला गांव गंवई के गंवइहा बनन दे।
कर ले कब्जा समुन्दर मं तंय हा,
मोला गगरी के पानी पियन दे।
चाह नइये बनंव तोर अतका,
मंय हा सुख हंव अभी हवे जतका।
देखमरी नइ करव काकरो पर,
मंय अपन मं तंय रहिबे अपन मं।
भर ले अन धन के कोठी जी तंय हा,
मोर पीये बर पसिया रहन दे।
तंय हा बन जा सबो जग के मालिक।
मोला गांव गंवई के गंवइहा बनन दे।
रेंग डामर सिरमिट के सड़क मं
नइ सुहाये पयडगरी हा तोला।
चढ़ जा मोटर जहाज अउ रेल म,
बइला गाड़ी अउ गाड़ी दे मोला।
ले ले चम्पा - चमेली गुलाब ला,
गोंदा - मोंगरा चिरैय्या रहन दे।
तंय हा बन जा सबो जग के मालिक।
मोला गांव गंवई के गंवइहा बनन दे।
घूम ऊपर अकास अउ अकास मं
ध्ारती मंइया के पंइया परन दे।
आनी - बानी के कपड़ा पहिर ले,
पर गंवई के पहनावा मोला पहिरन दे।
बस जा बंगला अटारी मं तंय हा,
फूटे कुरिया मं मोला, बसन दे।
तंय हा बन जा सबो जग के मालिक।
मोला गांव गंवई के गंवइहा बनन दे।