Last modified on 6 मई 2008, at 02:38

मदिर मंथर चल मलय से... / कालिदास

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:38, 6 मई 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=कालिदास |संग्रह=ऋतुसंहार‍ / कालिदास }} Category:संस्कृत :...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: कालिदास  » संग्रह: ऋतुसंहार‍
»  मदिर मंथर चल मलय से...
प्रिये ! आई शरद लो वर!

मदिर मंथर चल मलय से

अग्रशाख विकंप आकुल

प्रचुर पुष्पोद्गम मनोहर

चारुतर ले नर्म कोंपल

मत्त भ्रमरों ने पिया

मद प्रस्रवण हो विकल जिस पर

मधुर चमरिक वृक्ष चित्त

विदीर्ण किसको दें नहीं कर
प्रिये ! आई शरद लो वर!