Last modified on 30 जनवरी 2017, at 12:22

जीने का सामान / योगेंद्र कृष्णा

योगेंद्र कृष्णा (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:22, 30 जनवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=योगेंद्र कृष्णा |संग्रह=कविता के...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

इतना भी आसान नहीं
कचरे से जीने का
कुछ सामान निकल पाना

और इस तरह
सभ्य आदमी कुत्तों और गिद्धों
की दृष्टि से बच कर निकल जाना

कितना कठिन है
हरियाली के भीतर छुपे
सांप बिच्छुओं को समझाना

इससे भी कठिन है
लेकिन...
भूख से सुलह कर पाना