भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मरने की दुआएं क्यूं मांगूं / मुईन अहसन जज़्बी
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:04, 26 मई 2008 का अवतरण (मरने की दुआएं क्यूं मांगूं / मुईन अह्सन जज़्बी moved to मरने की दुआएं क्यूं मांगूं / मुईन अहसन जज़्बी)
मरने की दुआएं क्यूं मांगूं , जीने की तमन्ना कौन करे
यह दुनिया हो या वह दुनिया अब ख्वाहिश-ए-दुनिया कौन करे
जब कश्ती साबित-ओ-सालिम थी तब साहिल की तमन्ना किस्को थी
अब ऐसी शिकस्ता कश्ती पर साहिल की तमन्ना कौन करे!
जो आग लगाई थी तुमने उसको तो बुझाया अश्कों से
जो अश्कों ने भड़्काई है उस आग को ठन्डा कौन करे
दुनिया ने हमें छोड़ा जज़्बी हम छोड़ न दें क्यूं दुनिया को
दुनिया को समझ कर बैठे हैं अब दुनिया दुनिया कौन करे