मैं एशियाई हूँ समय की देरी से विद्रोह करने वालों का प्रेम और रक्त हूँ उनकी प्रेरणा का संयम हूँ
मैं विद्रोही गोलियों की कर्कश आवाज़ हूँ अपने उन मालिकों के विरुद्ध जिन्होंने कल तक नहीं देखा था मेरे भूखे, थके हुए, क्लान्त और निर्वासित लोगों को सिर्फ़ जाना था मेरी बहुमूल्य निधियों को
पर आज जो स्वीकारते हैं एशिया की धरती की गरिमा और उसके गौरव को