भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आपनोॅ बात / सुप्रिया सिंह 'वीणा'
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:38, 3 मार्च 2017 का अवतरण
अंगो के भाषा छिकै, मिलना छै सम्मान।
हमरा खातिर अंगिका, छेकै जान-परान।।
अमरेंदर, राहुल, विमल, केॅ करतै सब याद।
जें दै नव साहित्य केॅ, रोजे पानी खाद।।
सबसें मिट्ठोॅ छै सखी, अंग देश के बोल।
गद्य-पद्य साहित्य सब, अंगोॅ के अनमोल।।
आय अंगिका के लली, खोजे छिये मकाम।
कठिन डगर रास्ता बड़ोॅ, तहियोॅ करबै काम।।