भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेरा नशा हो तुम / नाज़िम हिक़मत

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:27, 5 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नाज़िम हिक़मत |अनुवादक=अनिल जनवि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरा नशा हो तुम
जिसे छोड़ा नहीं मैंने
हालाँकि अगर छोड़ना जानता भी मैं
तो छोड़ता नहीं कभी

मेरे सिर में दर्द है,
मेरे घुटने भरे हुए हैं चोटों के निशानों से
मैं चारों तरफ़ से कीचड़ में डूबा हूँ
मैं कोशिश कर रहा हूँ
तुम्हारे संकुचित प्रकाश की ओर बढ़ने की।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय