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चैत मास खडेरीमा / यादव खरेल

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चैत मास खडेरीमा डँढेलोले वनै कालो
उसको बाटो कुर्दा कुर्दा सुकसुकले मनै खायो

देउरालीका देउ-देउता पाती चढाउँला
भञ्ज्याङ्का माने जति तिमीलाई मनाउँला

टाढाबाट मेरो माया आजै डाकिदेऊ
उसको बाटो छेक्ने बादल तिमी फाटिदेऊ

मेरो खबर उनीकहाँ बादल पुर्याइदेऊ
चाँडै हाम्रो भेट हुने साइत जुराइदेऊ

खोला तर्दा गारो होला बाढी घटिदेऊ
उसको बाटो छेक्ने पहाड तिमी हटिदेऊ