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चेतनाथ धमलाका पाँच हाइकुहरु / चेतनाथ धमला
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१- एक्लो बालक
लुगलुगी काँप्दै छ
घाम छेउमै।
२- चाल बढेर
दिन पनि रात भो
धर्ती कक्रिँदा।
३- हिमाली रङ
शिरपोष बोकेर
जिउँछ आफैँ।
४- जलकुम्भी झैँ
जराविनै उत्रनू
त्यही हो जीत।
५- हिमाली हिउँ
पग्ली झर्झ मधेस
एउटै तिर्खा।