Last modified on 12 मार्च 2017, at 09:14

गीली आँखों के ख़्वाब / प्रेरणा सारवान

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:14, 12 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रेरणा सारवान |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

उसने मेरे हाथ
अपने हाथों में लेकर
मुझसे कई बार पूछा कि
तुम्हारी चमकीली आँखें
गीली-गीली क्यों रहती है
तब मैंने उसे बताया कि
इन आँखों में जो ख्वाब है
वो ख़्वाब मैंने
उस लड़की कि आँखों से चुराए है
जिसका नाम बारिश है
शहर जिसका बादल है
घर जिसका सागर है
दिल जिसका पानी है
इसलिए मेरी आँखें
गीली गीली रहती है।