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हमने खुद को नकार कर / रामकुमार कृषक
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हमने खुद को नकार कर देखा
आप अपने से हार कर देखा
जब भी आकाश हो गया बहरा
खुद में खुद को पुकार कर देखा
उनका निर्माण-शिल्प भी हमने
अपना खंडहर बुहार कर देखा
लोग पानी से गुज़रते हमने
सिर से पानी गुजार कर देखा
हमने इस तौर मुखौटे देखे
अपना चेहरा उतार कर