ख़ुशबुओं के दंश
रचनाकार | योगेन्द्र दत्त शर्मा |
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प्रकाशक | काकली प्रकाशन, के० बी० 47, कविनगर, गाज़ियाबाद- 201002 |
वर्ष | 1986 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | नवगीत |
पृष्ठ | 80 |
ISBN | |
विविध |
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इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- आकृतियाँ और नहीं खोएँगे / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- एक झोंका स्नेह का / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- ठंड के अहसास वाले पल / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- खंडित स्वप्न : एक सांध्य बिम्ब / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- त्रासदी है ! / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- रात्रि-शेष / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- संध्या की तस्कर घुसपैठें / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- हम चले आए / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- टूटा हुआ अहम् / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- विभ्रम के खंडहर / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- हथेली बंद जालों में / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- पहेली बूझने में / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- बूढ़ा पहर / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- थकी झील : अनमने मुहाने / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- चांद: कोई गुप्तचर / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- गूंगी भूमिकाओं में... / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- पंख तितली का / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- गंध के हस्ताक्षर / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- पानी में सूर्य-किरण टूटी / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- वे पल / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- आहटें सुनें / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- आचमन सजल आँखों वाले / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- हेमंती साँझ / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- चैत-दुपहरी / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- समय-बिम्ब : खंडों में / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- अतीत-बोध / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- मान जा... / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- शिकारी आ गए / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- याचक जीवन / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- रहने दे ! / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- दिन वसंती लौट आए ! / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- अमलतासों से खिले संबंध / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- अब तुम्हारा है ! / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- धूप बनकर आ गए ! / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- फूल-तक्षक क्षण / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- कर्फ़्यू- शहर में / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- ऋतुओं के खोखले रबाब / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- आँखों में उगे मरुथल / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- शाप फिर कुणाल का फला / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- धूप का विरान मरु-वन : मेघपंखी साँझ / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- क्रौंच के ये वंशधर / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- इतिहासों की भूल हो गए / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- नागदह से लौट आए ! / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- बंजर धरती पर हिरन / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- पर-कटे पाखी / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- विसंगति / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- समय-चक्र / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- ढह गई मीनार / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- प्यासा ही रहा मन / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- अक्षय-वट टूट गया ! / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- अब तक भी... / योगेन्द्र दत्त शर्मा