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गळगचिया (12) / कन्हैया लाल सेठिया
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मैणबत्ती कयो- डोरा, मैं थारै स्यूं कत्तो मोह राखूं हूं ? सीधी ही काळजै में ठौड़ दीन्ही है। डोरो बोल्यो-म्हारी मरवण,जणाँ ही तिल तिल बळूं हूँ ।