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गळगचिया (22) / कन्हैया लाल सेठिया
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बादळवाई रो दिन। मधरो मधरो आथूंणूं बायरो चालै। खेजड़ी उपरां बैठी कमेड़ी बोली टमरक टूं।
नीचै छयाँ में सूतो मिनख सोच्यो-किस्यो क सोवणूं पंखेरू हैै। अतै में कमेड़ी बींठ करी, सीधी आ र मिनख रै उपराँ पड़ी, मिनख झुंझळा र बोल्यो- किस्यो क बदजात जीव है।