Last modified on 17 मार्च 2017, at 15:05

गळगचिया (49) / कन्हैया लाल सेठिया

आशीष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:05, 17 मार्च 2017 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पग कयो- सुई तूं काटै नै तुरत फुरत ही किया काढ़ लै ?
सुई बोली-अरै भोळिया घर रो भेढू लंका ढ़ावै आ कैबत तो घणी पुराणी है।