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गळगचिया (52) / कन्हैया लाल सेठिया

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हँसी बोली- आँसूड़ा ? थारो ओ कांई सुभाव, आवै जणाँ छानै सी‘क ही टळक‘र जांतो रवै ? मै तो आऊँ जणां कांई ठा कता‘क कानां में फिर‘र जाऊँ हूँ ? दोन्याँ रो पाड़ोसी नाक आ बात सुण‘र हौले सी‘क कयो-ऊँचै‘र नीचै कुळ रै में अतो ही तो फरक है।