Last modified on 17 मार्च 2017, at 16:29

गळगचिया (62) / कन्हैया लाल सेठिया

आशीष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:29, 17 मार्च 2017 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कुम्हार काचै घड़ै ने चाक स्यूँ उतार‘र न्यावड़े री उकळती भोभर में ल्या नाख्यों। घड़ो से‘र बोल्यो - बिधाता आ कांई करी ?
कुम्हार हँस‘र कयो पाणिहारी रै सिर पराँ इयाँ सीधो ही चढ़णूँ चावे हो के ?