आदिम भय / आभा पूर्वे

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खुली आँखों से
स्वप्न देखा करती थी
उसीमें डूबती इतराती रहती थी
कि अचानक तुमने मुझे
जवाकुसुम कर दिया
पर क्या हो गया है
अब तो बस डरती रहती हूँ
कि फूल होने के बाद
मुरझा न जाऊँ
इससे तो अच्छा था
मैं कोमल कली बन कर
एक डाल से जुड़ी रहती
लंकिन तब कहाँ से लाती
यह रंग,
यह रूप ?
तुम्हारा
मुझे जवाकुसुम बना दिया जाना
स्वीकार है।

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