Last modified on 31 मार्च 2017, at 14:30

क्या बतलागो तुम / आभा पूर्वे

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:30, 31 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आभा पूर्वे |अनुवादक= |संग्रह=गुलम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सीता
तुमने नारी होकर
इतना अपमान सहा
क्या तुम अपनी
सहनशीलता का
परिचय दे रही थी
या फिर तुम सचमुच
एक पुरुष की परीक्षा
ले रही थी कि
कितना तपा सकते हो मुुझे
मैं तो साक्षात् शक्तिरूपा हूँ।