भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नज़र / सेरा टीसडेल / लाल्टू

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:20, 1 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सेरा टीसडेल |अनुवादक=लाल्टू |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बहारों में सत्तू ने चूमा था मुझे,
पतझड़ में रब्बी,
पर किसना ने नज़र उठाकर देखा भर था,
लेकिन नहीं चूमा भर कभी।

सत्तू का बोसा हँसी-हँसी भूल गया,
रब्बी का खेल-खेल में,
पर किसना की नज़रों का चुम्बन,
तड़पाए दिन रात ख़याल में।

अंग्रेज़ी से अनुवाद : लाल्टू

और लीजिए अब पढ़िए मूल अँग्रेज़ी में यही कविता
The Look

Strephon kissed me in the spring,
      Robin in the fall,
But Colin only looked at me
      And never kissed at all.
Strephon’s kiss was lost in jest,
      Robin’s lost in play,
But the kiss in Colin’s eyes
      Haunts me night and day.