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याद आती हैं बरबस घटनाएँ / हेमन्त शेष

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याद आती हैं बरबस घटनाएँ

बदल गए हैं कमरे

सपने में ओछे पड़ गए कपड़ों की सलवटें

याददाश्त में सांत्वनाएँ

सूंघता हूँ

बड़े तड़के रसोईघर में बघार की सुगन्ध

सुनता

बेटी का रुदन

यकीनन दुनिया

आज की नहीं है

नहीं है वही

इस घर की

थी

जैसी कल