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555 / हीर / वारिस शाह

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हाए हाए मुठी मत ना लईया दिती अकल हजार जोगेटया वे
वस पयों तूं वैरियां डाढयां दे की वाह है मुशक लपेटया वे
जेहड़ा खिंडया विच जहान सारे नहीं जावना मूल समेटया वे
राजा अदली है तखत ते अदल करदा खड़ी बांह कर कूक सुखरेटया वे
बिना अकल दे नहीं सभ हसाब होसी तेरे नाल ही मीपां रंझेटया वे
नहीं हूर बहिश्त दा हो जांदी गधा जरी देनाल लपेटया वे
असर सुहबतां दे कर जान गलबा जाह राजे दे पास जटेटया वे
वारस शाह मियां तांबा हाय सोना जदों कीमिया दे नाल भेटिया वे

शब्दार्थ
<references/>