भांफलऽ अंड़ा / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'
वे मतलब केॅ पढ़ै लिखै छो, सबसेॅ अच्छा गोरख धंधा,
धरम-करम के नाम पं सबकेॅ चलऽ बनैवै उल्लू अंधा।
दारू गंजा रोज पियै छी, बुद्धि हमरऽ सबसेॅ मंदा,
जखनी गरज पड़ै छै तखनी, हमरहै सं मंगबाबै चंदा।
मूर्ख की! हम्में महामूर्ख छी, कपड़ा-लता, काम छै गंदा,
तोरऽ सगरे उजरऽ उजरऽ, तइयो तोरहै पुलिस के फंदा।
पूजा-पाठ तेॅ रोज करै छऽ, लपेसी केॅ सिन्दुर बनल्हे पंडा,
लडू-मिसरी खूब बाँटै छऽ, रात केॅ खाय छऽ भांफलऽ अंडा।
वे मतनब के पढ़ै-लिखै छौ, सबसेॅ अच्छा गोरख-धंधा,
धरम-करम के नाम पेॅ सबके, चलऽ बनैबै उल्लू-अंधा।
- - - - - - - - - - - - - - - - - -
अनपढ़ छै नेता अपाहिज सिपाही,
दानों के चलते छै सगरे तबाही।
नेता कं आपनऽ पराया नै सुझै छै,
हिन्दी अंग्रेजी मेॅ भेदो नै बुझै छै,
मालदार देखी कं होकरै पं लुझै छै,
थैली कं भरै उगाही-उगाही...।
अनपढ़ छै नेता अपाहिज सिपाही।
- - - - - - - - - - - - - -