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नन्हे सपने / नीलेश रघुवंशी

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एक दिन

तुमने कुछ कहा था?

याद नहीं

उसी को याद करता मेरा अकेलापन

ख़ामोश रात जागती आँखें

नन्हें जीवित सपने

एक दिन के।