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याचना / रघुवीर सहाय
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युक्ति के सारे नियंत्रण तोड़ डाले,
मुक्ति के कारण नियम सब छोड़ डाले,
अब तुम्हारे बंधनों की कामना है |
विरह यामिनी मी न पल भर नींद आयी, क्यों मिलन के पात वह नैनों समायी, एक क्षण में ही तो मिलन मी जागना है |
यह अभागा प्यार ही यदि है भुलाना, तो विरह के वे कठिन क्षण भूल जाना, हाय जिनका भूलना मुझको मना है |
मुक्त हो उच्छ्वास अंबर मापता है , तारकों के पास जा कुछ कांपता है, श्वास के हर कम्प मी कुछ याचना है |