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तुम न जाओ सुनयने! / राहुल शिवाय
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दिल का दर्द न समझे कोई ।
दुनिया में आसान बहुत है
अरमानों की सेज सजाना,
पर जग में सबसे मुश्किल है
सच्चे मन से प्रीत निभाना।
अपने आँसू पी जाऊँगा
रात-रात भर वह है रोई।
चलते-चलते प्रणय -पंथ पर
पड़े फफोले हैं पगतल में,
आँसू सूख चुके आँखों के
विरह-व्यथा के इस मरुथल में।
बस नीरव आहें अंतर में
मन की कोमलता अब खोई।
उर में आग, प्यास अधरों पर
मन-उपवन उजड़ा पतझर-सा ,
बिखर गए वो ढाई-आखर
हुआ हृदय पीड़ित मधुकर-सा।
मैंने जिसका हित चाहा था
उसके उर भी पीड़ा बोई।