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आज़ादी का गीत / हरिवंशराय बच्चन
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हम ऐसे आज़ाद हमारा झंडा है बादल
चांदी सोने हीरे मोती से सजती गुडिया
इनसे आतंकित करने की घडियां बीत गई
इनसे सज धज कर बैठा करते हैं जो कठपुतले
हमने तोड अभी फेंकी हैं हथकडियां
परम्परा गत पुरखो की जाग्रित की फिर से
उठा शीश पर रक्खा हमने हिम किरीट उजव्व्ल
हम ऐसे आज़ाद हमारा झंडा है बादल
चांदी सोने हीरे मोती से सजवा छाते
जो अपने सिर धरवाते थे अब शरमाते
फूलकली बरसाने वाली टूट गई दुनिया
वज्रों के वाहन अम्बर में निर्भय घहराते
इन्द्रायुध भी एक बार जो हिम्मत से ओटे
छत्र हमारा निर्मित करते साठ कोटी करतल
हम ऐसे आज़ाद हमारा झंडा है बादल