भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आज मुझसे बोल बादल / हरिवंशराय बच्चन
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:57, 3 जून 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन }} आज मुझसे बोल, बादल!<br> तम भरा तू, तम भर...)
आज मुझसे बोल, बादल!
तम भरा तू, तम भरा मैं,
ग़म भरा तू, ग़म भरा मैं,
आज तू अपने हृदय से हृदय मेरा तोल, बादल
आज मुझसे बोल, बादल!
आग तुझमें, आग मुझमें,
राग तुझमें, राग मुझमें,
आ मिलें हम आज अपने द्वार उर के खोल, बादल
आज मुझसे बोल, बादल!
भेद यह मत देख दो पल-
क्षार जल मैं, तू मधुर जल,
व्यर्थ मेरे अश्रु, तेरी बूंद है अनमोल, बादल
आज मुझसे बोल, बादल!