भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गाउँ दिने कथा / लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा
Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:29, 21 मई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा |अनुवादक= |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
हौदा चढ्यो घोडामाथि
हौदामाथि हात्ती
चञ्चलेको राजालाई
यस्तो भयो पात्ती ।
दुइटा ओडार काला काला
त्यसमा दुइटा तारा
माथि झाँग छ तल झाडी
त्यो हो के त प्यारा ?