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देश गजब / जोतारे धाईबा
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फेवा सुक्ने देश गजब !
मुसा भुक्ने देश गजब !
कलकल गौरव नदी
स्याप्पै रुक्ने देश गजब !
भरथेग कहीँ नपाई,
शिर झुक्ने देश गजब !
दोषी भनी एकअर्कामा,
साटो थुक्ने देश गजब !
गन्हाएर गल्लीबीचमा
त्यसै लुक्ने देश गजब !
वेदनाको रापमा अझै,
आगो फुक्ने देश गजब !