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बेटी के लिए एक कविता / वीरा

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मेरी बच्ची

मैं तेरे पाँवों के लिए

ख़ूबसूरत सैण्डल लाई आज


देख मेरी बेटी

मैं तेरे पाँवों में

हवा, फूल और चिड़ियों के

पंखों की उड़ान नहीं

पहना सकती


मैं तेरे पाँवों में

आसमान छूने की

ताकत भी नहीं भर सकती


मेरी बेटी तू

देख मेरी मज़बूरी

कि मैं तेरे पाँवों में

अपने आप को सुरक्षित

रखने की चालाक

तमीज़ पहना रही हूँ