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चाहना / सुमन पोखरेल

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तिम्लाई भनी राखेको हुँ प्रीत यौवनभरको
कहाँ बसी दिऊँ तर, माया यो मनभरको
एकैछिनको हैन भन्छु, नाता तिम्रो मेरो
सँगै हिँड्ने चाह मेरो यात्रा जीवनभरको