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तीन हाइकू / सुमन पोखरेल

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एक
फर्काइ देऊ
मैले दिएको भोट
चामल किन्न।

दुई
निर्जन वन
अनादीकालदेखी
सङ्गीतमय ।

तीन
उदास रूख
चरा बसे हाँगामा
उड्यो यो मन।