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बिस्तारै आयौ जीवनमा मेरो / निमेष निखिल

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बिस्तारै आयौ जीवनमा मेरो बिहानी बनेर
हरायौ किन बिर्सेको कुनै कहानी बनेर
 
चल्दछ हावा उड्दछ पात हरायो वसन्त
आँसुको भेल नयनबाट बग्दछ अनन्त
 
पलाँस फूल न कतै चलेँ न झर्न सकेँ म
यादमा तिम्रो न बाँच्न सकेँ न मर्न सकेँ म
 
नदेऊ धोका हे दैव बरु जन्म नै नदेऊ
जिउँदै मारी हरेक पल यो प्राण नलेऊ।