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हे कर्मयोगी नेपाली / निमेष निखिल

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हे कर्मयोगी नेपाली पुर्खाको शिर उठाउँदै
हिमाल, पहाड, तराईमा सोरठी, सेलो घन्काउँदै
 
भृकुटी, सीता, बुद्धको पवित्र भूमि नेपाल
विश्वको छानो चम्कन्छ सगरमाथा हिमाल
 
अमरसिंह, भक्ति र भानुको गाथा गाउँदै
चिनाऊँ नेपाल विश्वमा शान्तिको गीत घन्काउँदै
 
अनेकतामा एकता नेपाल हाम्रो गौरव
मेची र काली सिँगार्ने पसिना हाम्रो पौरख।