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बिरानो भो आज किन / निमेष निखिल

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बिरानो भो आज किन गाउँजस्तो गाउँ छैन
तर पनि तिमीबाहेक जप्ने अर्को नाउँ छैन
 
निकै कठिन हुँदो रै'छ पिरतीको बहिखाता
ब्याजको त कुरै छोडौँ पोल्टाभित्र साउँ छैन
 
सपनामै यत्ति आयौ तिमी मेरो जिन्दगीमा
विपनामा अब फेरि तिमीलाई पाऊँ छैन
 
धेरै धाएँ तिमीलाई धेरै कुरेँ गल्लीहरु
भै'गो अब यो मुटुमा तिमी बस्ने ठाउँ छैन।