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के छ दाजै हाल भनी / निमेष निखिल

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के छ दाजै हाल भनी कुनै मैतालुले सोधिन्
जान्छौ भने हिँड भनी उनै तीर्थालुले सोधिन्
 
जिन्दगीमा धेरैधेरै बिरक्तिएँ जब म
जप्छौ राम नाम भनी कुनै श्रद्धालुले सोधिन्
 
भक्कानिँदै रोइरहेँ रातभरि जब एक्लै
किन रोयौ बाबु भनी उनै दयालुले सोधिन्
 
जसका लागि सारा जीवन अर्पिदिएँ मैले
विवाहमा आउँछौ भनी उनै मायालुले सोधिन्।