भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नसोध हाल बेहाल छ / निमेष निखिल

Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:41, 5 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निमेष निखिल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नसोध हाल बेहाल छ
बाँचिएकै छ कमाल छ
 
धुजाधुजा छ यो वर्तमान
दुखैदुखको बबाल छ
 
खुसीको कुरा नगर भो
आँसुकै ठूलो आहाल छ
 
नगर विश्वास दुख्छ मन
मान्छेकै मान्छे दलाल छ
 
कसरी जिउने संसारमा
'निखिल'को एउटै सवाल छ।