भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कविता / विद्यानाथ पोख्रेल

Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:19, 7 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= विद्यानाथ पोख्रेल |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कविता काव्यको छाया
काव्यमा कवि बस्दछ ।
कविता, काव्य र कवि
मिलेमा रस खस्दछ ।।