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नाता : दो / विरेन्द्र कुमार ढुंढाडा़

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नाता
दो हाथ री ताळी
बजायां बाजै
बरोबर
दोन्यां रै।

ताळ्यां रै
उतराध-दिखणाध होयां
ताळी नीं
बांसिया बाजै
फेर तो
नाता भाजै
अळगा आंतरा।

आव
आपां बजावां
दोनूं हाथां
इकसार ताळी
थूं म्हारी सुण
म्हैं थांरी सुणूं
चालसी नाता
उथळीजसी जुगां।