भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मा / गौरीशंकर

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:52, 11 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गौरीशंकर |अनुवादक= |संग्रह=थार-सप...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मा
थारी ओळयूं आई
म्हनैं
जद घूम रैयो हो सै‘र रै पार्क में
अेक बाई पार्क रै ट्रैक माथै
बुहारी काढ़ै ही
बुहारी री खंख री सौरम लारै
थारौ उणियारौ दिख्यौ।