भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
म्हारी छोटी बै'न बोदड़ी / जनकराज पारीक
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:09, 12 जून 2017 का अवतरण
लिछमी जैड़ी अैन बोदड़ी।
म्हारी छोटी बै'न बोदड़ी।
पै ल-दूज आंगण मैं खलै।
समझै मा री सैन बोदड़ी।
सूई में डोरो पोवण नै।
दादी जी रा नैन बोदड़ी।
म्हे बूझां जद घर री नेमत।
बाबो सा कै है न बोदड़ी।
टूर जासी चुपचाप सासरै।
बिन बोल्यां कीं बै'न बोदड़ी।