भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दिवलो : तीन / रचना शेखावत
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:10, 14 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रचना शेखावत |अनुवादक= |संग्रह=थार-...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
फळसै माथै दिवलो
फगत च्यानणों ई नीं होवै
आ है घर रै भीतर री
अपणायत
चिलकती च्यारूंमेर।