भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उसने सब लाज़बाब भेजा है / आनंद कुमार द्विवेदी

Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:16, 17 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आनंद कुमार द्विवेदी |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उसने ख़त का जबाब भेजा है
हाय क्या इंकलाब भेजा है

प्यार में डूबी ग़ज़ल भेजी है
एक प्यारा गुलाब भेजा है

नींद आँखों से लूटकर उसने
कितना मदहोश ख्वाब भेजा है

दिन को, खुशबू चमन की भेजी है
रात को, माहताब भेजा है

राह चलते हिना महकती है
उसने ऐसा शबाब भेजा है

अपने ‘आनंद’ के लिए यारों
उसने सब लाज़बाब भेजा है