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नै ऐलै पिया / अनिरुद्ध प्रसाद विमल

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हमरा कही केॅ गेलै, नै ऐलै पीया !

सौनोॅ बीतलै, भादोॅ बीतलै,
पूस आरो माघोॅ के जाड़ोॅ बीतलै,
बीती गेलै यहेॅ रं ठहाका इंजोरिया !

पुरबा बहै छै, देहोॅ दुखाय छै !
पछिया ने पपरी ठोरोॅ पेॅ ओछाय छै,
जिय तरसाय गेलै कारी बदरिया !

मेघ अखारी घिरि-घिरि आबै,
तोरोॅ संदेशा पिया, हमरा सुनाबै,
ठनका सें डोॅर लागै, लपकै बिजुरिया !

सुरुजें भियानी असरा बन्हाबै,
निठुरा दुपहरियाँ जियरा जराबै,
भेलाँ निराश ताकी सँझकी डहरिया !

हमरा कही केॅ गेलै, नै ऐलै पीया !